बसंत पंचमी: ज्ञान, विद्या और सरस्वती पूजा का पावन पर्व

भूमिका

बसंत पंचमी भारत में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व विद्या, ज्ञान, संगीत और कला की देवी माँ सरस्वती को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना कर विद्या और बुद्धि की प्राप्ति की कामना की जाती है। बसंत पंचमी ऋतु परिवर्तन का भी सूचक है और इसे वसंत ऋतु के आगमन के रूप में देखा जाता है। इस दिन प्रकृति नवजीवन प्राप्त करती है और वातावरण में एक नई ऊर्जा का संचार होता है।

बसंत पंचमी: ज्ञान, विद्या और सरस्वती पूजा का पावन पर्व

बसंत पंचमी का धार्मिक महत्व

बसंत पंचमी का सबसे बड़ा धार्मिक महत्व माँ सरस्वती की पूजा से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की लेकिन उन्हें यह अधूरी प्रतीत हुई। चारों ओर मौन और निस्तब्धता थी। तब उन्होंने अपने कमंडल से जल छिड़ककर एक शक्ति उत्पन्न की, जो वीणा धारण किए हुए थी। जैसे ही इस देवी ने वीणा बजाई, पूरे संसार में मधुर ध्वनि गूंज उठी, और सभी जीवों को वाणी प्राप्त हुई। यही देवी माँ सरस्वती कहलाती हैं। इस कारण बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा कर ज्ञान, विद्या और वाणी की प्राप्ति की कामना की जाती है।

ऋतु परिवर्तन और प्रकृति के सौंदर्य का पर्व

बसंत पंचमी को वसंत ऋतु का आरंभ भी माना जाता है। इस समय वातावरण में हल्की गर्माहट आने लगती है, सर्दी कम होने लगती है और चारों ओर हरियाली एवं फूलों की बहार देखने को मिलती है। खेतों में सरसों के पीले फूल खिलने लगते हैं, जो इस पर्व का प्रमुख प्रतीक माने जाते हैं। इस मौसम में आम के वृक्षों पर बौर आ जाते हैं और कोयल की कूक वातावरण को मधुर बना देती है। इसलिए इस पर्व को प्रकृति के सौंदर्य और उल्लास का भी प्रतीक माना जाता है।

बसंत पंचमी पर पीले रंग का महत्व

इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है। पीला रंग ज्ञान, ऊर्जा, समृद्धि और सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। माँ सरस्वती का वाहन हंस भी श्वेत रंग का होता है, जो ज्ञान और पवित्रता का प्रतीक है। इसी कारण लोग इस दिन पीले वस्त्र पहनते हैं, पीले रंग का भोजन बनाते हैं और सरसों के फूलों से घर को सजाते हैं।

शिक्षा और विद्या के क्षेत्र में महत्व

बसंत पंचमी को शिक्षा और विद्या के क्षेत्र में भी विशेष स्थान प्राप्त है। इस दिन छोटे बच्चों को पहली बार अक्षर ज्ञान कराया जाता है, जिसे ‘विद्यारंभ संस्कार’ कहा जाता है। विभिन्न विद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में माँ सरस्वती की पूजा की जाती है और छात्रों को विद्या और ज्ञान की महत्ता बताई जाती है। इस दिन विद्यार्थी माँ सरस्वती से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से उनकी पूजा करते हैं।

बसंत पंचमी के प्रमुख अनुष्ठान और परंपराएँ

  1. माँ सरस्वती की पूजा – इस दिन विशेष रूप से माँ सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। पूजा के दौरान उन्हें पीले फूल, मिठाई और हल्दी अर्पित की जाती है।
  2. विद्यारंभ संस्कार – छोटे बच्चों को पहली बार लेखन कार्य सिखाने के लिए यह दिन बहुत शुभ माना जाता है। कई स्थानों पर बच्चे इस दिन स्लेट और चॉक से पहला अक्षर लिखते हैं।
  3. पतंगबाजी – उत्तर भारत विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में इस दिन पतंगबाजी का विशेष आयोजन किया जाता है। लोग छतों पर चढ़कर पतंग उड़ाते हैं और वातावरण रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है।
  4. संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम – इस दिन विभिन्न स्थानों पर संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। कलाकार और विद्यार्थी माँ सरस्वती को समर्पित भजन और गीत गाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
  5. भोग और प्रसाद – इस दिन विशेष रूप से पीले चावल, केसर युक्त हलवा और खीर का भोग लगाया जाता है। इसे देवी सरस्वती को अर्पित कर भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।

भारत में बसंत पंचमी का भिन्न-भिन्न राज्यों में महत्व

  1. उत्तर भारत – उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। यहाँ माँ सरस्वती की भव्य मूर्तियाँ स्थापित कर विधिपूर्वक पूजन किया जाता है।
  2. पश्चिम बंगाल – यहाँ इसे ‘सरस्वती पूजा’ के रूप में मनाया जाता है। इस दिन विद्यार्थी देवी सरस्वती की विशेष पूजा करते हैं।
  3. पंजाब और हरियाणा – इन राज्यों में बसंत पंचमी को पतंगबाजी के महोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
  4. मध्य भारत और महाराष्ट्र – यहाँ इसे ‘शिवरात्रि’ के उपलक्ष्य में भी जोड़ा जाता है और शिव-पार्वती की पूजा की जाती है।
  5. दक्षिण भारत – कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में भी इस पर्व को विद्या और ज्ञान के रूप में मनाया जाता है।

निष्कर्ष

बसंत पंचमी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि ज्ञान, कला और प्रकृति की आराधना का पर्व है। यह हमें शिक्षा, संस्कृति और प्रकृति के प्रति जागरूक करता है। इस दिन माँ सरस्वती का पूजन कर हम ज्ञान, विद्या और बुद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं। यह पर्व हमें सकारात्मकता, नई ऊर्जा और उत्साह से भर देता है। बसंत पंचमी हमें यह सिखाती है कि जीवन में ज्ञान और शिक्षा का कितना महत्वपूर्ण स्थान है और हमें इसे प्राप्त करने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

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